दूरसंचार विभाग (DoT) ने परेशान करने वाली कॉल और मैसेज पर लगाम लगाने के लिए नए नियम बनाने के निर्देश दिये हैं, जिससे गैरजरूरी कॉल और मैसेज आने पर टेलिकॉम मार्केटिंग कंपनियों पर जुर्माना लगाया जा सके। सरकार ने टेलीमार्केटर्स को रेगुलेटरी कंट्रोल और अकाउंटबिलिटी के तहत लगाने का निर्देश दिया है। जिससे टेलिकॉम कंपनियों की जवाबदेही को तय किया जा सके। इससे आने वाले दिनों में जियो, एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और बीएसएनएल यूजर्स को राहत हो सकती है।
ट्राई की तरफ से मामले में भेजा गई सिफारिश
इस मामले में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की ओर से एक मैसेज भेजा गया है, जिसमें टेलीमार्केटर्स को कंट्रोल करने की सिफारिशें मांगी हैं। ट्राई पहले से ही स्पैम कॉल और मैसेज पर कंसल्टेशन प्रक्रिया शुरू कर चुका है। ऐसे में ट्राई की तरफ से एक पूरक पत्र लाया जा सकता है। DoT ने ट्राई से प्राधिकरण के लिए नई गाइडलाइन तैयार करने को कहा है, जिससे नियमों के उल्लंघन पर टेलिमार्केटर पर जुर्माना लगाया जा सके।
सरकार के पास जुर्माना लगाने का नहीं है नियम
बता दें कि मौजूदा वक्त में सरकार के पास ऐसा कोई सिस्टम मौजूद नहीं है, जिसके तहत टेलीकॉम ऑपरेटर को स्पैम कॉल और मैसेज को कंट्रोल करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सके। साथ ही इन पर जुर्माना लगाया जा सकेगा। साथ ही इस कॉल और मैसेज से होने वाली बैंकिंग फ्रॉड पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।
क्यों नहीं लगाया जा पा रहा जुर्माना
Trai का कहना है कि ऑपरेटरों को टेलीमार्केटर्स से जुर्माना वसूलना चाहिए। लेकिन सिस्टम काम नहीं कर रहा है, क्योंकि टेलीमार्केटर्स ऑपरेटर बदलते रहते हैं। साथ ही, टेलीकॉम कंपनियां उन पर कोई भी शर्त लागू नहीं कर सकती हैं। टेलीकॉम कंपनियों ने नियामक को प्रस्ताव दिया है कि टेलीमार्केटर्स और व्यावसायिक संस्थाओं को समान रूप से जवाबदेह ठहराया जाए और स्पैम भेजने वालों पर वित्तीय जुर्माना लगाया जाए।
लाइसेंसिंग प्रक्रिया शुरू
हाल ही में संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ हुई बैठक में ऑपरेटरों ने टेलीमार्केटर्स का मुद्दा उठाया था। अधिकारियों ने कहा कि दूरसंचार विभाग उनकी बात से सहमत है, जिसके बाद ट्राई को संदर्भ भेजा गया। ट्राई ने टेलिमार्केटिंग के लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया शुरू करे की मांग की है।